डायरेक्ट सेल्लिंग से बदली जिंदगी

जब 3 सितंबर 1998 को डायरेक्ट सेल्लिंग शुरुआत (Direct Selling) की थी, तब में भीड़ में अनजान सा सिर्फ एक और चेहरा था, आज 20 साल बाद भीड़ से हटकर अपनी जिन्दगी में एक मुकाम हासिल किया है, जिसमे मेरी मेहनत और सीखने का जनून तो था ही उससे भी ज्यादा रोल उन हज़ारो लाखो मेरे दोस्तों का है जिन्होंने मुझ पर हमेशा विस्वास रखा और मेरा साथ लगातार देते रहे और आज भी एक आवाज़ पर मेरे साथ चल रहे है।

दिल्ली के छोटे से इलाके मादीपुर (Madipur, New Delhi) से जो जीवन की ठोकरों को झेंलने का सफर शुरू हुआ वो बेहद कठिन था, न पैसा था जेब मे और न ही नौकरी थी, थी तो सिर्फ दिल्ली में चलने वाली रेड लाइन डीटीसी बसों का सफर और ज़िन्दगी में कुछ बड़ा करने का अरमान, 1998 में लाख कोशिशों के बावजूद बार बार नाकामयाबियों का सफर जारी रहा और आमदनी आठनी और खर्च रुपया यानी जेब खाली की खाली और घरवालो और रिस्तेदारो की गाली की इसमे कुछ नही रखा कोई नौकरी करो ।

1999 की शुरुवात बेहद खराब रही पर ज़िद से लगा रहा कि बाकी लोगो को कामयाबी मिल रही है मुझे भी मिलेगी, जुलाई आते आते कामयाबी मिलने लगी तो मैंने कामयाबी की स्पीड को रेस देने के लिए गियर बदलने जारी रखा अब घरवाले थोड़ा शांत हुए की कुछ हो रहा है पर उतना नही हो रहा जिससे घर को कुछ सहारा लगाया जा सके पर मेरे घर पर अब माहौल बदल चुका था और उनका साथ थोड़ा मिलने लगा और टोका टाकी बन्द हो गयी थी ।

अब पापा का बजाज चेतक काम के लिए कभी कभार मिलने लग गया था, अब में डायरेक्ट सेल्लिंग कंपनी मै एक पहचान बना चुका था मेरी मीटिंग्स और ट्रेनिंग्स में औरो के मुकाबले जबरदस्त रिस्पांस आने लगा था मेरी सेल्स, टीम और आमदनी और कद तेज़ी से बढ़ने लगा ऐसा लगने लगा था कि मंजिल अब दूर नही तभी जिंदगी ने एक मोड़ और लिया नवंबर 1999 में जिंदगी का सबसे कड़वा सच सामने आया।

23 नवंबर 1999 को में अपने अपलाइन टी के देब (T.K. DEB) जो पश्चिम विहार (Paschim Vihar) में उस वक्त रहा करत्ते थे, के घर से महीने की क्लोजिंग की प्लानिंग करके पापा के चेतक पर सवार होकर यह गाना (मुझे रंग दे, मुझे रंग दे ) गुना गुनते निकला ही था कुछ दूर पर सड़क पर पड़े पत्थरो की चपेट में आ गया और जिंदगी खुशियों के रंग की बजाए खून से रंग गयी पैर पर स्कूटर गिरने की वजह से टखना टूट चुका था और जिंदगी, सपने और अरमान बैसाखियों पर आ गए थे ।

जिस लड़के के सपनो को पंख लगने वाले थे जल्द ही विदेश दौरे पर जाने वाला था, अपने पैसों से कार लेने वाला था जिंदगी इतनी क्रूर निकली अब वो लड़का खुद किसी न किसी सहारे का मोहताज था । 7 महीने तक मे बैसाखियों पर रहा और जिंदगी कभी अस्पताल के या कभी किसी फिजियो थेरेपी के स्टेचर पर रही ।

इस दौरान जो अच्छा हो रहा था वो था मेरा बिज़नेस पर कोई असर नही पड़ा वो टीम ने लगातार अपनी कार्रवाई जारी रखी और मेरे बिस्तर पर होने के बावजूद मुझे आमदनी होती रही में फोन पर ही उन्हें ट्रेन करता रहा और पूरी टीम मैदान मारती रही ।

जो डायरेक्ट सेल्लिंग दिल्ली से शुरू हुआ था अब हरयाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश के बहुत से शहरों में फैल गया था और लगातार मेरी सेल्स बढ़ रही थी और आमदनी भी, यही वो आमदनी है जिसको पाने के लिए सब मेहनत करते है काम एक बार करो और फल हर महीने मिले यानी पेसिव इनकम या पेंशन जो लोगो को 40 साल काम करने के बाद मिलती थी मुझे 1.5 साल काम करने के बाद ही मिलने लगी थी। जिसने मुझे इस सिस्टम लंबे समय तक बने रहने का विस्वास पक्का किया ।

सन 2000 तक मे ऐसे ही काम करता रहा, 2000 के बाद मैंने डायरेक्ट सेल्लिंग कंसल्टेंसी (Direct Selling Consultant) और प्रोडक्ट सिलेक्शन और मैन्युफैक्चर (Direct Selling product selection consultancy) लिए कंसल्टेंसी शुरू की जिसमे मैंने बड़ी कंपनियो को नेटवर्क मार्केटिंग में प्रोडक्ट स्पेशलिटी और प्रोडक्ट पैकेजिंग पर काम करना शुरू किया। देश की प्रतिष्टित कंपनियो और उनके डायरेक्टर्स के साथ मिलना जुलना जारी रहा।

2001 आते आते में डायरेक्ट सेल्लिंग ऐक्सपर्ट (Direct Selling Expert) बन चुका था और नई कंपनियों को मार्किट में लाने की कंसल्टेंसी का काम भी करने लगा था।

मेरी सलाह पर खड़ी की गई नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियों (Top 20 Network Marketing Companies) ने देश मे इतिहास बनाना शुरू किया और देखते ही देखते मेरे कंसल्टेंसी से बनाई गई कंपनियों ने पुरानी और विदेशी कंपनियों को आगे बढ़ कर चैलेंज करना शुरू कर दिया था और देश मे बहुत तेज़ी से आगे बढने लगी थी ।

2004 तक आते आते में देश के हर कोने की कंपनियों का मार्गदर्शन कर रहा था और जिंदगी के सभी सुख एक एक करके अपने आप आते जा रहे थे।

यह नेटवर्क मार्केटिंग की ताकत (Power of Network Marketing) का ही कमाल था मैंने 24 साल की उम्र में आने पैसों से दिल्ली में एक कोठी खरीद ली थी जो जिंदगी बसों के धक्के खाया करती थी अब चार पहिया गाड़ी आ चुकी थी, हर साल किसी न किसी देश मे जाने का मौका मिल रहा था और जीवन की तकलीफे न के बराबर रह गयी थी।

नेटवर्क मार्केटिंग (Network Marketing Consultant) की वजह से ही आज मैं एक अच्छी जिंदगी जी रहा हूँ अगर यह बिज़नेस न आया होता तो शायद आज मैं कही किसी कोने में एक अनजान सी जिंदगी जी रहा होता|

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MLM नेटवर्क मार्केटिंग एक ताकत है इसको पहचान के इसमे जुट जाइये सही कंपनी का चुनाव करे नही तो आपकी मेहनत जीरो हो सकती है उसमें अगर आपको मेरी मदत की ज़रूरत हो तो मैं आपको सलाह दे सकता हूँ किन कंपनियो के साथ अपना कैरियर बढ़ाये और किनके साथ न बढ़ाये।

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